Bhagavad Gita

Bhagavad Gita - भगवद गीता

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भगवद गीता: श्रीमद भगवद गीता का दिव्य ज्ञान महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अपने सखा कुंती पुत्र अर्जुन को सुनाई थी जब अर्जुन महाभारत के युद्ध में विचलित होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे थे।

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद भगवद गीता का दिव्य ज्ञान कुरुक्षेत्र के रणभूमि में रविवार के दिन सुनाया था। और उस दिन एकादशी थी। इसलिए हमारे हिंदू धर्म में एकादशी का इतना ज्यादा महत्व है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार गीता उपदेश भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को लगभग 45 मिनट तक सुनाई गई थी।और भगवान ने यह गीता का ज्ञान कर्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढ़ियों को धर्म ज्ञान सिखाने के लिए दिया था। ताकि धरती पर आगे आने वाली पीढ़ियां अर्जुन की ही तरह अपने कर्तव्य पथ से ना हटे,और सदा धर्म के मार्ग पर ही चले,धर्म का साथ दें।

पहला अध्याय - अर्जुनविषादयोग

दूसरा अध्याय - सांख्ययोग नामक

तीसरा अध्याय - कर्मयोग

चौथा अध्याय - ज्ञानकर्मसंन्यासयोग

पाँचवाँ अध्याय - कर्मसंन्यासयोग

छठा अध्याय - आत्मसंयमयोग

सातवाँ अध्याय - ज्ञानविज्ञानयोग

आठवाँ अध्याय - अक्षरब्रह्मयोग

नौवाँ अध्याय - राजविद्याराजगुह्ययोग

दसवाँ अध्याय - विभूतियोग

ग्यारहवाँ अध्याय - विश्वरूपदर्शनयोग

बारहवाँ अध्याय - भक्तियोग

तेरहवाँ अध्याय - क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग

चौदहवाँ अध्याय - गुणत्रयविभागयोग

पंद्रहवाँ अध्याय - पुरुषोत्तमयोग

सोलहवाँ अध्याय - दैवासुरसम्पद्विभागयोग

सत्रहवाँ अध्याय - श्रद्धात्रयविभागयोग

अठारहवाँ अध्याय - मोक्षसंन्यासयोग

श्रीमद भगवद गीता में कुल 18 अध्याय है,और 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं

Bhagavad Gita - भगवद गीता: जिसमें मुख्य रुप से भक्ति और कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गई है। और यह भी बताया गया है कि इन मार्गों पर चलने से हर व्यक्ति निश्चित ही परमपद जीवन में सफलता का अधिकारी बन जाता है। श्रीमद भगवद गीता का उपदेश जब भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा अर्जुन को दे रहे थे, तो यह दिव्य ज्ञान अर्जुन के अलावा सिर्फ धृतराष्ट्र एवं संजय ने ही सुना था। और दोस्तों आपको यह जानकर शायद बेहद ही आश्चर्य होगा कि अर्जुन से पहले यह गीता उपदेश भगवान सूर्य देव को दिया गया था।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: श्रीमद भगवद गीता की गिनती हमारे हिंदू उपनिषदों में होती है जोकि हमारे हिंदू के धर्म ग्रंथ हैं। और जिनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं और जीवन जीने के तरीकों के बारे में हम सबको बताया गया है।साथ ही श्रीमद भगवद गीता दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत के 1 अध्याय शांतिपर्व का एक हिस्सा है।

श्रीमद भगवद गीता का दूसरा नाम गीता उपनिषद भी है

Bhagavad Gita - भगवद गीता: श्रीमद भगवद गीता के प्रमुख सार: हर मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए, ना ही उसे अपने कर्तव्य पथ से विचलित होना चाहिए… क्योंकि अंत में जीत सदा सर्वदा सत्य (धर्म) की ही होती है। और परिवर्तन ही संसार का नियम है यही शास्वत सत्य है। जो हमेशा कायम रहता है… और रहेगा। श्रीमद भगवद गीता में कुल 700 श्लोक हैं। जिसमें से भगवान श्री कृष्ण ने 574 श्लोक, अर्जुन ने 85 श्लोक, धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक, तथा संजय ने 40 श्लोक कहे हैं। श्रीमद भगवद गीता का ज्ञान दिव्य है,और अनमोल भी। इसलिए हम सभी को श्रीमद भगवद गीता को पढ़ना चाहिए और उसमें बताए गए उपदेशों को अपने जीवन में पालन करना चाहिए।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: हजारों वर्ष पहले लिखी गयी भगवद् गीता का विश्लेषण व अभ्यास प्रत्येक विद्वान द्वारा अलग-अलग प्रकार से किया गया है। और इस काल में जब उम्र में मात्र पच्चीस वर्ष के अंतर होने के उपरांत भी पुत्र अपने पिता के अंतर आशय को समझने में समर्थ नहीं है, तो फिर हजारों वर्ष बाद अंतर आशय किस तरह समझा जाएगा? पर, जिस तरह हम अपने हर रोज के जीवन में संवादहीनता के कारण कई बार गलतफहमियों के शिकार बन जाते हैं और जिसके कारण हम सही अर्थ से वंचित रह जाते हैं, ठीक उसी प्रकार स्वाभाविक रूप से समय के साथ भगवद् गीता का मूल (गूढ़) अर्थ भी लुप्त हो गया है।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: यदि कोई भगवद् गीता का सारांश यथार्थ रूप से समझने में सक्षम हो तो वह परम सत्य का अनुभव कर राग (बंधन) की भ्रान्ति व संसार के दुखों में से मुक्त हो सकता है। अर्जुन ने भी महाभारत का युद्ध लड़ते हुए सांसारिक दुखों से मुक्ति प्राप्त की थी। भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए दिव्यचक्षु के कारण ही यह संभव हो सका और इसी दिव्यचक्षु के कारण अर्जुन कोई भी कर्म बाँधे बिना युद्ध लड़ने में सक्षम बने और उसी जीवन में मोक्ष प्राप्त किया।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: हजारों वर्ष पहले लिखी गयी भगवद् गीता का विश्लेषण व अभ्यास प्रत्येक विद्वान द्वारा अलग-अलग प्रकार से किया गया है। और इस काल में जब उम्र में मात्र पच्चीस वर्ष के अंतर होने के उपरांत भी पुत्र अपने पिता के अंतर आशय को समझने में समर्थ नहीं है, तो फिर हजारों वर्ष बाद अंतर आशय किस तरह समझा जाएगा? पर, जिस तरह हम अपने हर रोज के जीवन में संवादहीनता के कारण कई बार गलतफहमियों के शिकार बन जाते हैं और जिसके कारण हम सही अर्थ से वंचित रह जाते हैं, ठीक उसी प्रकार स्वाभाविक रूप से समय के साथ भगवद् गीता का मूल (गूढ़) अर्थ भी लुप्त हो गया है।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: सोलह हजार रानियाँ होने के बावजूद भी, वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी कहलाये? वास्तव में सुदर्शन चक्र क्या है? परधर्म और स्वधर्म किसे कहते हैं? गोवर्धन पर्वत को उठाने के पीछे का रहस्य क्या था? ऐसे सभी गूढ़ रहस्यों और दूसरा बहुत कुछ यहाँ उजागर होगा।

Bhagavad Gita - भगवद गीता: साधारण शब्दों में अगर श्रीमद भगवद गीता के बारे में कहा जाए तो हम सब कह सकते हैं, कि यह मानव जीवन से संबंधित ज्ञान का एक संकलन है, सागर है। जो हम सबको जीवन जीने की सच्ची प्रेरणा देता है। और हमें धर्म और अधर्म के बारे में विस्तार से बतलाता है।

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