Month: June 2016

SHRI RAM KA SAMUDRA PAR NARAJ HONA – TAS

SHRI RAM KA SAMUDRA PAR NARAJ HONA – TAS समुद्र पर श्री रामजी का क्रोध और समुद्र की विनती SHRI RAM KA SAMUDRA PAR NARAJ HONA – TAS – इधर तीन दिन बीत गए, किंतु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता। तब श्री रामजी क्रोध सहित बोले- बिना भय के प्रीति नहीं होती, हेलक्ष्मण धनुष-बाण लाओ, मैं …

SHRI RAM KA SAMUDRA PAR NARAJ HONA – TAS Read More »

SHRI RAM KO SAMUDRA PAR KARANE KA VICHAR

SHRI RAM KO SAMUDRA PAR KARANE KA VICHAR SHRI RAM KO SAMUDRA PAR KARANE KA VICHAR – सबके हृदय में बसने वाले, सर्वरूप सब रूपों में प्रकट, सबसे रहित, उदासीन, कारण से भक्तों पर कृपा करने के लिए मनुष्य बने हुए तथा राक्षसों के कुल का नाश करने वाले श्री रामजी नीति की रक्षा करने …

SHRI RAM KO SAMUDRA PAR KARANE KA VICHAR Read More »

VIBHISHAN AUR SHRI RAM MILAN

VIBHISHAN AUR SHRI RAM MILAN विभीषण का भगवान्‌ श्री रामजी की शरण के लिए प्रस्थान और शरण प्राप्ति VIBHISHAN AUR SHRI RAM MILAN –  विभीषण अपना अपमान सह ना सका और श्री राम के शरण मे चला। रामजी सत्य संकल्प एवं सर्वसमर्थ प्रभु हैं , और हे रावण तुम्हारी सभा काल के वश है। अतः …

VIBHISHAN AUR SHRI RAM MILAN Read More »

VIBHISHAN NE RAVAN KO SAMAJHYA THA

VIBHISHAN NE RAVAN KO SAMAJHYA THA रावण को विभीषण का समझाना और विभीषण का अपमान  VIBHISHAN NE RAVAN KO SAMAJHYA THA – मंत्री, वैद्य और गुरु- ये तीन यदि अप्रसन्नता के भय या लाभ की आशा से हित की बात न कहकर प्रिय बोलते हैं, तो क्रमशः राज्य, शरीर और धर्म- इन तीन का शीघ्र ही …

VIBHISHAN NE RAVAN KO SAMAJHYA THA Read More »