Month: May 2016

MANDODARI KA DAR

मंदोदरी का डर MANDODARI KA DAR MANDODARI KA DAR – वहाँ लंका में जब से हनुमानजी लंका को जलाकर गए, तब से राक्षस भयभीत रहने लगे। अपने-अपने घरों में सब विचार करते हैं कि अब राक्षस कुल की रक्षा का कोई उपाय नहीं है । जिसके दूत का बल वर्णन नहीं किया जा सकता, उसके …

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श्री रामजी वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचना – SHREE RAMJEE VANAR SENA KE SATH SAMUDRA TAT PAR PAHUCHANA

SHREE RAMJEE VANAR SENA KE SATH SAMUDRA TAT PAR PAHUCHANA श्री रामजी वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचना SHREE RAMJEE VANAR SENA KE SATH SAMUDRA TAT PAR PAHUCHANA – हनुमान के लंका से लौटने के बाद भगवान राम के आज्ञानुसार वानरराज सुग्रीव ने शीघ्र ही वानरों को बुलाया, सेनापतियों के समूह आ गए। …

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लंका दहन के बाद हनुमानजी का सीताजी से विदा माँगना और चूड़ामणि पाना – LANKA DAHAN KE BAD SITAJI SE VIDA MANGNA

लंका दहन के बाद हनुमानजी का सीताजी से विदा माँगना और चूड़ामणि पाना LANKA DAHAN KE BAD SITAJI SE VIDA MANGNA LANKA DAHAN KE BAD SITAJI SE VIDA MANGNA पूँछ बुझाकर, थकावट दूर करके और फिर छोटा सा रूप धारण कर हनुमानजी श्री जानकीजी के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए , हनुमानजी ने कहा-हे …

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LANKA DAHAN – लंका दहन

लंका दहन – LANKA DAHAN LANKA DAHAN विभिक्षण कहते है की मैं सबको समझाकर कहता हूँ कि बंदर की ममता पूँछ पर होती है। अतः तेल में कपड़ा डुबोकर उसे इसकी पूँछ में बाँधकर फिर आग लगा दो, जब बिना पूँछ का यह बंदर वहाँ अपने स्वामी के पास जाएगा , तब यह मूर्ख अपने …

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ASHOKVATIKA KA VIDHVANS – हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस

ASHOK VATIKA KA VIDHVANS – हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस ASHOK VATIKA KA VIDHVANS हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस – हनुमान्‌जी को बुद्धि और बल में निपुण देखकर जानकीजी ने कहा- जाओ। हे तात श्री रघुनाथजी के चरणों को हृदय में धारण करके मीठे फल खाओ, वे सीताजी को सिर नवाकर चले और बाग में घुस …

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ASHOK VATIKA ME HANUMAN – हनुमानजी अशोक वाटिका में

हनुमानजी अशोक वाटिका में – ASHOK VATIKA ME HANUMAN ASHOK VATIKA ME HANUMAN विभीषणजी ने माता के दर्शन की सब उपाय कह सुनाईं। तब हनुमानजी विदा लेकर चले। फिर वही पहले का मच्छर वाला रूप धरकर वहाँ गए, जहाँ अशोक वन में , वन के जिस भाग में सीताजी रहती , सीताजी को देखकर हनुमान्‌जी ने …

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LANKA ME HANUMAN KA PRAVESH AUR LANKINI VADH- हनुमान जी का लंका में प्रवेश और लंकिनी वध

LANKA ME HANUMAN KA PRAVESH AUR LANKINI VADH LANKA ME HANUMAN KA PRAVESH AUR LANKINI VADH लंका मे अनेकों प्रकार के वृक्ष फल-फूल से शोभित थे । पक्षी और पशुओं के समूह को देखकर तो हनुमान जी मन में बहुत ही प्रसन्न हुए। सामने एक विशाल पर्वत देखकर हनुमानजी भय त्यागकर उस पर दौड़कर जा …

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हनुमान्‌जी का लंका को प्रस्थान और सुरसा द्वारा उनका परिक्षा, और राक्षसी का समुद्र मे वध

HANUMAN KA LANKA JANA HANUMAN KA LANKA JANA  जाम्बवान के सुंदर वचन सुनकर हनुमान जी के हृदय को बहुत अचा लगा । वे बोले हे- भाई तुम लोग दुःख सहकर, कन्द-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना, जब तक मैं सीताजी को देखकर (लौट) न आऊँ। काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो …

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SITA JEE KEE KHOJ KE LIYE BANDARO KA PRASTHAN – सीताजी की खोज के लिए बंदरों का प्रस्थान

सीताजी की खोज के लिए बंदरों का प्रस्थान SITA JEE KEE KHOJ KE LIYE BANDARO KA PRASTHAN SITA JEE KEE KHOJ KE LIYE BANDARO KA PRASTHAN अंगद आदि वानरों को साथ लेकर और श्री रामजी के छोटे भाई लक्ष्मणजी को आगे करके (अर्थात्‌ उनके पीछे-पीछे) सुग्रीव हर्षित होकर चले और जहाँ रघुनाथजी थे वहाँ आए …

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SHRI RAM KA SUGRIV PAR NARAJ HONA – श्री राम का सुग्रिव पर नारज होना

श्री राम का सुग्रिव पर नारज होना SHRI RAM KA SUGRIV PAR NARAJ HONA SHRI RAM KA SUGRIV PAR NARAJ HONA वर्षा बीत गई, निर्मल शरद्ऋतु आ गई, परंतु हे तात! सीता की कोई खबर नहीं मिली। एक बार कैसे भी पता पाऊँ तो काल को भी जीतकर पल भर में जानकी को ले आऊँ, …

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